शिक्षक दिवसः अध्यापक और अध्यापन आज ख़तरे में है

Apoorvanand | 4 September 2023 | Satyahindi

Image : Reuters

2023 के शिक्षक दिवस के रोज़ इस बात को याद कर लेना ज़रूरी है कि भारत में अध्यापन का पेशा आज़ादी के बाद के 75 सालों में अभी सबसे अधिक संकट में है। भारत के गुरु की महिमा का गान करने की परिपाटी का पालन करते  वक़्त यह ध्यान रखना चाहिए कि उसे उसका धर्म निर्वाह करने की स्वतंत्रता नहीं रह गई है। अब उससे यह कहा जा रहा है कि वह भारत की आज की राजकीय विचारधारा का प्रवक्ता होने भर को स्वतंत्र है, उसका अपना कोई विचार नहीं हो सकता।

जम्मू कश्मीर को भारत का हिस्सा माना जाता है तो बात वहीं से शुरू करें।राज्य के एक सीनियर सेकेंडरी स्कूल के अध्यापक ज़हूर अहमद बट को सर्वोच्च न्यायालय में संघीय सरकार के अनुच्छेद 370 को समाप्त किए जाने के कदम के ख़िलाफ़ उनके दलील देने के एक दिन बाद ही निलंबित कर दिया गया। अदालत के सामने अपनी 6 मिनट की बहस में उन्होंने कहा कि 5 अगस्त, 2019 के बाद उन्हें अध्यापक के तौर पर भारत का संविधान पढ़ाने में मुश्किल आ रही है। उसमें नागरिक अधिकारों के बारे में जो लिखा है, वह कश्मीरियों के अनुभव के ठीक उलट है। अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिए जाने के बाद का कश्मीर का यथार्थ संविधान की संकल्पना का उल्लंघन है। वे यह दुख प्रकट करके शायद वापस पहुँचे भी न होंगे कि उन्हें निलंबित कर दिया गया। इन पंक्तियों को लिखने के बाद पढ़ा कि इस निलंबन पर अदालत के फ़िक्र ज़ाहिर करने के बाद निलंबन ख़त्म कर दिया गया।

पूरा लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

Previous
Previous

Dehumanising Gurus While We Grandstand as a Vishwaguru

Next
Next

Explained: Why Bengal Government Rejected NEP 2020 And Formulated Its Own Education Policy